जब मै ,घुटुवन-घुटुवन चलता था
खिचती खाल ,तो कभी खून निकलता था
देख राहगीर बोला! क्यों इतना खून बहाते हो
ये लथपथ घुटने ले कर, किस दिशा को जाते हो
मेरी जुबान तो तोतली ठहरी
छलकत खून मे सोच थी गहरी
मै मतवाला मंद मंद कही दूर निकल जाउगा
पीछे पथ पर पग-पग लाली लाल लीप जाउगा
फिर भटके अपनी राह राही धरपकड़ इसको चलना है
अरे! सब मुझको ही तो करना है ,मुझको ही तो करना है
धीरे-धीरे हुआ मै बड़ा
हुआ शरीर पैर बल खड़ा
वो तोतले तालू तिलमिलाने लगे
कंठ फोड़ शब्द किलकिलाने लगे
पग बढ़ा उसी राह पर,निकला मै तान के सीना
ज्यो देख दुर्दशा मानव की, छोड़े शरीर पसीना
एक अधेड़ मग्न मदिरा में , हाथ पाँव थे नाली में
नाक बहाती रानी बिटिया ,बैठी उसकी रखवाली में
कि अब उठेगा मेरा बापू और देगा रोटी थाली में
खिचती खाल ,तो कभी खून निकलता था
देख राहगीर बोला! क्यों इतना खून बहाते हो
ये लथपथ घुटने ले कर, किस दिशा को जाते हो
मेरी जुबान तो तोतली ठहरी
छलकत खून मे सोच थी गहरी
मै मतवाला मंद मंद कही दूर निकल जाउगा
पीछे पथ पर पग-पग लाली लाल लीप जाउगा
फिर भटके अपनी राह राही धरपकड़ इसको चलना है
अरे! सब मुझको ही तो करना है ,मुझको ही तो करना है
धीरे-धीरे हुआ मै बड़ा
हुआ शरीर पैर बल खड़ा
वो तोतले तालू तिलमिलाने लगे
कंठ फोड़ शब्द किलकिलाने लगे
पग बढ़ा उसी राह पर,निकला मै तान के सीना
ज्यो देख दुर्दशा मानव की, छोड़े शरीर पसीना
एक अधेड़ मग्न मदिरा में , हाथ पाँव थे नाली में
नाक बहाती रानी बिटिया ,बैठी उसकी रखवाली में
कि अब उठेगा मेरा बापू और देगा रोटी थाली में
कापे पैर, भर आया गला, देख दशा निठल्ले की
क्या भ्रमित कर गयी राह वो खून के छल्ले की
तू उठ, तू कर, तू सब कुछ तो कर एकता है
मूछ सफ़ेद होने तक तू जी शान से सकता है
भ्रमित भौरे भटक रहे, बचाना अपनी फूल सी बिटिया
क्या भूल गया कर्तव्य का किस्सा, गिर उठ चलती थी चीटिया
ये होगी बड़ी, पैरो पे खड़ी,फिर कन्यादान करना है
अरे ! सुन शराबी सुन्न पड़ा , सब तुझ को ही तो करना है-2 !!
Thank You !
bhai karra h........
ReplyDeletethanx..:)
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